आजादी का जश्न खतम हुआ। पिछले दो दिनो से लोगो में एक उत्साह और देशभक्ति का जज्बा देखने लायक था। सभी लोगो ने किसी न किसी रूप में इसका हिस्सा बनने कि कोशिश की। मौजूदा सरकार ने भी आगामी चुनाव कि खातिर अपना खजाना खोला। चाहे महंगाई की मार से आम आदमी जूझ रहा हो। स्वाधीनता दिवस को हमारे प्रिय चैनलों ने भी कुछ प्रोग्रामों के द्वारा लोगो को आजादी का मतलब सिखाने की कोशिश की तथा देशभक्ति से भरपूर गाने या चलचित्र के माध्यम से देशभक्ति का जोश भरने कि कोशिश की। वन्दे मातरम के स्वर के साथ सबने उदघोष किया। मेरे सहित सभी ब्लॉगर दोस्तो ने भी बधाई संदेश एवम शुभकामनाये भेजी और अपने ढंग से आजादी कि व्याख्या समझाने की कोशिश की। कुछ लोगो ने इसे एक अवकाश की भाँति बिताया होगा। सरहद पर बैठे हमारे सैनानियो ने भी अपने विश्वाश को और मजबूत किया होगा। बच्चो ने भी अपने स्कूल के माध्यम से प्रायोजित कार्यक्रम के द्वारा कुछ हासिल करने की कोशिश की होगी। विदेशों में रह रहे हम जैसे भारतियों ने भी किसी ना किसी रुप में तिरंगे और जज़्बात का सम्मान किया।
पर क्या अब इन्तजार रहेगा फ़िर से अगले साल आने वाले स्वाधीनता दिवस मनाने के लिये? क्या स्वाधीनता दिवस मनाकर ही हमारा कर्तव्य पूरा हो जाता है? शायद नहीं!
मेरे मन में कुछ सवाल सभी लोगो से है और मैं समझता हूँ यदि इन सब सवालों के उतर हम हाँ में दे सके तो सही मानो में स्वाधीनता पा सकते है और देश को खशहाल बना सकते है।
अ) क्या हमारे राजनेता राजनीति से उपर उठ सकते है? क्या हमारे राजनेता चंद कार्य ईमान्दारी के साथ कर सकते हैं?
आ) क्या हमारे प्रिंट मीडिया या इलेक्ट्रानिक मीडिया होड़ से हटकर हर एक नेता का लेखा जोखा(उनके अच्छे बुरे कार्य )लोगो के सामने ( केवल चुनावी समय पर नहीं) ला सकते है। क्या हम बलात्कार, खून और लूट जैसी घटनाओं को एक सीमित स्थान देकर सामाजिक द्रिष्टि से प्रोत्साहित या अन्य उपलब्धियों को महत्वपूर्ण स्थान दे सकते है? क्या ऐसे कार्यक्रम पेश कर सकते है जिनसे युवा पीढी को सेना या अन्य क्षेत्रों की ओर आकर्षित कर सके जिसमें उनका लगाव कम होता जा रहा है।
इ) क्या हर एक नागरिक (अधिकतर सरकारी कार्यालय) अपना काम निष्ठापूर्वक कर सकते है? भ्रष्टाचार को बढावा ना देने का संकल्प ले सकते है?
ई) क्या हम मानवता के मूल्यों को अपना सकते है?
उ) क्या हम अपना द्वेषभाव त्याग सकते है?
ऊ) क्या शिक्षा को प्रत्येक बच्चे का हक बना सकते है?
अगर ठान ली जाये तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं और फ़िर देश की खातिर हो या तिरंगे की खातिर !!! जय हिन्द!!! वन्दे मातरम!!!
- अस्तित्व, यू ए ई
शनिवार, 16 अगस्त 2008
अगले स्वतन्त्रता दिवस कि तैयारी?????
प्रस्तुतकर्ता अस्तित्व पर शनिवार, अगस्त 16, 2008 0 टिप्पणियाँ
गुरुवार, 14 अगस्त 2008
सच्चा हिन्दुस्तानी कहलाये
तिरंगा हमारी आन है बान है
हर हिंदुस्तानी की ये शान है
शहीदों की कुर्बानी की अलग कहानी
कुछ गोली खाकर शहीद कहलाये
कुछ फ़ासी के फ़ंदे पर झूल गये
कुछ ने देश के लिये किया समर्पण
कुछ ने किया सब कुछ अपना अर्पण
आज हम हर माने में स्वतंत्र है
लेकिन फ़िर भी बिगड़े सारे तंत्र है
गरीबी अमीरी की खाई बढती जा रही
आंतक की बू हर दिन फैल रही
राजनीति भी खूनी - खेल खेल रही
आजादी के जशन हम हर साल मनाते है
लेकिन मानवता को हर पल भूलते जा रहे है
देश और लोग उन्नति की ओर अग्रसर है
आम जिदगी फ़िर भी इससे बेअसर है
ढूँढते रहते ये सब किसका कसूर है?
आओ आज तिरंगा फ़िर लहराये
अमीरी गरीबी का ये भेद मिटाये
राजनीति से हटकर प्रेम फैलाये
जाति - भाषा का ये जाल हटाये
खुद को सच्चा हिन्दुस्तानी कहलाये।
-अस्तित्व, यू ए ई
प्रस्तुतकर्ता अस्तित्व पर गुरुवार, अगस्त 14, 2008 3 टिप्पणियाँ
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