॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
आपका स्वागत है मेरे इस ब्लोग में। आशा है आपको मेरे साथ आनन्द आयेगा। मेरा प्रयास रहेगा की आप की आशाओ में खरा उतरुंगा। सभी पढ़ने वालो को मेरा सप्रेम नमस्कार एवम् अभिनंदन। .

बुधवार, 24 सितंबर 2008

तुमसे बिछड़ा तो......


तुमसे बिछड़ा तो ऐसा लगा
रेगिस्तान सा आभास लगा
होश अपने खोने लगा
जोश मेरा हिलने लगा

रेत का असहाय टीला
चारो ओर फ़िर भी गी्ला
रेत के बिखरते कण
दर्द के बिलखते क्षण

यादों का बहता सैलाब
फ़िर भी ना मिलते जबाब
पल-पल उखड़ती सांस
सहारा ढूँढती रही आस

इस मरुस्थल में जाना
प्यार का अपना फंसाना
तुमसे दूरी का अहसास
और पास होने का आभास

- अस्तित्व, यू ए ई