॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
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बुधवार, 19 मार्च 2008

वक्त के साथ तेरा गीत


वक्त करवट लेता गया
हर बीते पलो को समेटने लगा
संकुचित मन से वक्त को देखा
पीड़ा का अहसास उसमें पाया

दुखते और सुलगते घावों को
असहाय सा इस दौर में पाया
समझ न सका वक्त का इशारा
अपने को सवालों से मजबूर पाया

जीने कि चाह मे उठते गिरते स्वर
पल - पल वेदना के चुभते खंजर
सुख में ईश्वर का ध्यान हर पल आया
इस बार आंख ना उससे मिला पाया

इन सब के बीच कम हुआ न तेरा प्यार
हर पल संभालते रहा तेरे प्रेम का संगीत
साहस और शक्ति देता रहा तेरे प्यार का गीत
हर हार में भी महसूस की मैंने अपनी जीत


-अस्तित्व