वक्त करवट लेता गया
हर बीते पलो को समेटने लगा
संकुचित मन से वक्त को देखा
पीड़ा का अहसास उसमें पाया
दुखते और सुलगते घावों को
असहाय सा इस दौर में पाया
समझ न सका वक्त का इशारा
अपने को सवालों से मजबूर पाया
जीने कि चाह मे उठते गिरते स्वर
पल - पल वेदना के चुभते खंजर
सुख में ईश्वर का ध्यान हर पल आया
इस बार आंख ना उससे मिला पाया
इन सब के बीच कम हुआ न तेरा प्यार
हर पल संभालते रहा तेरे प्रेम का संगीत
साहस और शक्ति देता रहा तेरे प्यार का गीत
हर हार में भी महसूस की मैंने अपनी जीत
-अस्तित्व
हर बीते पलो को समेटने लगा
संकुचित मन से वक्त को देखा
पीड़ा का अहसास उसमें पाया
दुखते और सुलगते घावों को
असहाय सा इस दौर में पाया
समझ न सका वक्त का इशारा
अपने को सवालों से मजबूर पाया
जीने कि चाह मे उठते गिरते स्वर
पल - पल वेदना के चुभते खंजर
सुख में ईश्वर का ध्यान हर पल आया
इस बार आंख ना उससे मिला पाया
इन सब के बीच कम हुआ न तेरा प्यार
हर पल संभालते रहा तेरे प्रेम का संगीत
साहस और शक्ति देता रहा तेरे प्यार का गीत
हर हार में भी महसूस की मैंने अपनी जीत
-अस्तित्व
2 टिप्पणियां:
बहुत बढिया है कविता , बधाई स्वीकारें !
पहली बार आपके ब्लौग पर आया हूं.. बढिया लगा आपका ब्लौग..
पता है आपका लिंक कहां से मिला? किसी ने मेरा तकनिकी चिट्ठा आपके ब्लौग से होते हुये हिट किया था और वहीं से आपके चिट्ठे का पता मिला.. अब आपका चिट्ठा पसंद आ ही गया है तो आना जाना लगा ही रहेगा.. :)
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