॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
आपका स्वागत है मेरे इस ब्लोग में। आशा है आपको मेरे साथ आनन्द आयेगा। मेरा प्रयास रहेगा की आप की आशाओ में खरा उतरुंगा। सभी पढ़ने वालो को मेरा सप्रेम नमस्कार एवम् अभिनंदन। .

बुधवार, 24 सितंबर 2008

तुमसे बिछड़ा तो......


तुमसे बिछड़ा तो ऐसा लगा
रेगिस्तान सा आभास लगा
होश अपने खोने लगा
जोश मेरा हिलने लगा

रेत का असहाय टीला
चारो ओर फ़िर भी गी्ला
रेत के बिखरते कण
दर्द के बिलखते क्षण

यादों का बहता सैलाब
फ़िर भी ना मिलते जबाब
पल-पल उखड़ती सांस
सहारा ढूँढती रही आस

इस मरुस्थल में जाना
प्यार का अपना फंसाना
तुमसे दूरी का अहसास
और पास होने का आभास

- अस्तित्व, यू ए ई

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

good to read from you

वीनस केसरी ने कहा…

आपकी घड़ी ग़लत समय बता रही है सही कर लीजिये

वीनस केसरी

seema gupta ने कहा…

इस मरुस्थल में जाना
प्यार का अपना फंसाना
तुमसे दूरी का अहसास
और पास होने का आभास
" really i liked these words too much, a great composition"

Regards

Advocate Rashmi saurana ने कहा…

kya baat hai bhut badhiya rachana. aapka blog bhi bhut sundar hai.

अस्तित्व ने कहा…

वीनस केसरी जी घड़ी का समय सही है( यूनाईटेड अरब अमीरात का वक्त है ये)।
रश्मी जी ब्लोग की प्रशंसा के लिये धन्यावाद्।

शोभा ने कहा…

यादों का बहता सैलाब
फ़िर भी ना मिलते जबाब
पल-पल उखड़ती सांस
सहारा ढूँढती रही आस
बहुत सुंदर लिखा है