॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
आपका स्वागत है मेरे इस ब्लोग में। आशा है आपको मेरे साथ आनन्द आयेगा। मेरा प्रयास रहेगा की आप की आशाओ में खरा उतरुंगा। सभी पढ़ने वालो को मेरा सप्रेम नमस्कार एवम् अभिनंदन। .

मंगलवार, 24 मार्च 2009

तुम संग नाचू…


तुम संग नाचू, गीत मिलन के गांऊ
अपनी धुनो से दीवाना तुमको बनाऊँ
प्यार के इस खेल में जीत लू मैं बाजी
तुम संग नाचू, गीत मिलन के गांऊ

तुम कहो तो दुनिया से मैं लड़ जाऊँ
धरती क्या है अम्बर में तूफान मंचाऊँ
सागर की मौजो को अपने गले लगाऊँ
तुम संग नाचू, गीत मिलन के गांऊ

पंछी जैसे साथ तुम्हें ले मैं उड़ जाऊँ
नील गगन में प्यार तुम्हे सिखलाऊँ
तराना प्यार का तुमको मैं सुनाऊँ
तुम संग नाचू, गीत मिलन के गांऊ

दिल में अपने मूरत तुम्हारी है बनाई
किया है प्यार तुम्ही से, ये है सच्चाई
तुम संग है ज़ीना, कसम है मैने खाई
तुम संग नाचू, गीत मिलन के गांऊ


-अस्तित्व, आबू दाबी, यू ए ई

3 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

समर्पण के भाव अच्छे हैं। क्षमा याचना सहित कहना चाहता हूँ कि इस रचना को थोड़ा सा तराशने से प्रवाह और सुन्दर हो जायगा। कहते हैं कि-

अगर तू बूँद स्वाती की, तो मैं इक सीप बन जाऊँ।
कहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ।
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक,
बनो तुम प्रेम की पाँती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

बेनामी ने कहा…

sunder abhvyakti

रंजू भाटिया ने कहा…

बढ़िया लिखा है आपने