कान्ग्रेस को बधाई इस चुनाव में। सभी बहुत खुश है ( कान्ग्रेस पार्टी का तो क्या कहने)। खुशी की बात हमारे लिये यह भी कि स्थाई सरकार रहेगी। पर क्या सही में ये जीत राहुल, सोनिया या मनमोहन सिह के कार्य की। बिल्कुल नही। इनको फ़ायदा मिला
1) मुस्लिम वोटो का ध्रुवीकरण ( खासकर यू पी में) और सपा का अलग से चुनाव लड़ना। बी एस पी से लोगो का गुस्सा। भाजपा को अपना वोट तो मिला पर बाकी तथ्य उसको ले डूबे यू पी में
2) राजस्थान मे भाजपा का सत्ता मे न रहना और कुछ अन्दरूनी लड़ाई।
3) दिल्ली मे मुद्दे ना के बराबर। बस शीला की राजनीति रगं लाई और भाजपा का ऐसे लोगो को खड़ा करना जिनका अस्तित्व अब खतम है।
4) महाराष्ट्र मे एम एन एस का वोट काटना ( मूल कारण)
5) उड़ीसा मे पटनायक की चतुरता और भाजपा का अधिक आत्मविश्वास ( लेकिन बन गय मुद्दा कन्दमाल) इसे ही कह्ते है राजनीति।
6) कुछ एक जगह पर राज्य सरकार के खिलाफ जैसे मध्यप्रदेश
7) हरियाणा और पन्जाब में साथियो का बेकार प्रदर्शन और सिख प्रधानमन्त्री का चयन कान्ग्रेस द्वारा जिसे लोगो ने समर्थन दिया।
8) दक्षिण में भी थोड़ा आश्चर्यजनक नत्तीजे ( कान्ग्रेस भी सोच मे है कैसे?)
बाकी भाजपा शासित राज्यों मे लोगो ने समर्थन भाजपा को दिया कार्य कि वजह से।
कुछ मुद्दे जो भाजपा के विपक्ष मे गये।
1) साम्प्रदायिकता का मुद्दा । मुझे याद है कि घोषणा पत्र जारी करते हुये केवल अन्त मे था राम मन्दिर के लिये लेकिन मीडिया और कान्ग्रेस ने पूछ्ना शुरु कर दिया अब किसी ने तो इसी को उछाला। हां वरुण का बयान ने किसी हद तक लोगो मे रोष पैदा किया लेकिन फ़िर मिडिया ने इसे बहुत उछाला।
2) मोदी का नाम : अरुण शुरी ने अपनी राय मे जब कहा कि मोदी एक सक्षम नेता है और आगे प्रधानमन्त्री बन सक्ते है। बस मीडिया ने सब्से पूछना शुरु कर दिया और जिसने कहा कि हां मोदी आगे हो सक्ते है तो मिडीया ने इस्को उछाल दिया और कान्ग्रेस ने इस्का फायदा उठाया। फ़िर मीडिया ने इस पर पूछ्ना शुरु किया कि इस वक्त मोदी क नाम क्यो? अब कोई क्या जबाब दे इस बात का।
3) अगर लोगो की सोच ये है कि विकास, गरीब और कृषि मुद्दा है तो फ़िर सब को भाजपा गठ्बन्धन को ही मौका देना चाहिये था: बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखडं, हिमान्चल, छतीशगढ और झारखंड इत्यादि राज्यों मे जो विकास और कार्य हुये है इसका असर होना चाहिये था जो नही हुआ।
एक मुद्दा और कान्ग्रेस ने उठाया: अपरहण और जस्वन्त सिह का जाना। उन लोगो के परिवार से किसी ने नही पूछा जिनके लोग की जान बच गई या उनके परिवार वालो से पूछा किसी ने। फ़िर मुफ़्ती सईद की बेटी को मुक्त कराने के लिये क्या किया। भिन्ड्र्वाला को किस्ने बनाया? जम्मू कश्मीर मे आन्तकवाद किस्का कसूर है। आतंकवादी घट्नाये( जैसे सन्सद मे) होती रहती है। लेकिन अफ़्जल गुरु को फासी क्यो नही? इसका जबाब कौन देगा?
गुजरात दन्गो का : केवल मोदी को इसी कारण से लताड़ना। गलत हुआ जो हुआ लेकिन उसके कार्यो को अनदेखा करना केवल इसी कारण से? फ़िर 1984(इसमें कोई शक नही की कान्ग्रेस ही जिम्मेदार है) का उल्लेख के लिये भाजपा और अन्य लोगो से क्यो प्रश्न ?
भारत से बहार रहनें से हमारा हक खतम हो जाता है वोट के लिये लेकिन देश के प्रति भाव और उसकी प्रगति में अपनी राय रख सक्ते है। इसलिये इस के माध्यम से केवल ये भ्रम दूर करना चाहता हू कि कान्ग्रेस की जीत राहुल के या सोनिया या मनमोहन सिह के कार्य या सोच की नही है जिसे सब लोग बयान कर रहे है। या कुछ बातो से लोगो को भ्रमित किया गया कान्ग्रेस या मीडिया के द्वारा। मीडिया का उल्लेख जरुरी है क्योंकि आज येसि ही बाते उनके लिये जरुरी है BREAKING NEWS। एक उदाहरण और – मनमोहन सिह को पूछा कि आपने अड्वाणी के बारे मे……… मनमोहन जी ने कहा की मैने 30 मिनट बात की जिसमें सभी कार्यो क जिक्र किया और आपने इसी बात को उछाला कि मैने अडवाणी को क्या कहा। अभी एक चैनल मे देखा कि शरद पवार ने कहा कि मोदी का नाम बीच मे…… मैने सुना कि जब सवान्दाता ने पूछा कि क्या आप सोचते है कि मोदी का नाम भारी पडा? खबर को सही रुप मे प्रस्तुत करना भी कला है लेकिन केवल नाम के लिये नही। अब इसमें शरद साहब क्या कहते भला इसके अलावा ये नही होना चाहिये था। Breaking news : blaming game started by NDA. एक हद तक मीडिया ने Breaking news के नाम पर भाजपा का विरोध किया। भाजपा भी दोषी है कि कुछ हद तक की कार्यो को भुना नही पाई, मनमोहन के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी और वरुण ( जबकि भाजपा ने विरोध जताया पह्ले फ़िर मीडिया ने कुरेदना शुरु किया और एन एस ए लगना आदि शामिल है इसमें)।
हारे हुये सभी लोग हार की समीक्षा करेगे ही बस मेरा विश्लेषण आप लोगो के साथ अपने विचार - हार के कारण ।
3 टिप्पणियां:
सही है..बी जे पी का अंतर्कलह उसे ले डूबा....कांग्रेस की जीत नहीं हुई बल्कि बी जे पी की हार हुई है..!आपका विश्लेषण सही तस्वीर बताता है...
जो भी हो-कुछ तो कारण बन ही जाता है और फिर किस नज़रिये से उसे देखा जाये.
फिलहाल एक अच्छी और स्थाई सरकार आई है, खुल कर खुश होईये.
कार्टुन पसंद आया...
एक टिप्पणी भेजें