॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
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शुक्रवार, 23 नवंबर 2007

~ रचनाकर के रंग ~

जीवन की संरचना में,
कौन है रचनाकर ?
कैसे इस रचना को
रच देता है रचियेता ।
हर रंग से वशीभूत होकर,
भर देता है रंग रचियेता

हर एक भिन्न - भिन्न है,
रंगो का मिश्रण भी अलग है,
सबके जीवन में रंग अलग है,
हर रंग का आकर्षण अलग है,
जीवन की संरचना में,
कौन है रचनाकर ?


रचियेता की रचना में
रंग की अखरता में,
रंग की सरलता में,
रंग की सहजता में,
रंग की विभिन्नता में,
रंग की एकता में,
रंग की भावना में,
रंग की ताकत में,
बदल जाता है,
हर रंग का मतलब ।
जीवन की संरचना में,
कौन है रचनाकर ?

धूप छांव के रंगो में,
इन्द्रधनुष बन जाते है ।
रंग से रंग मिल जाते है,
जीवन से जीवन मिल जाते है ।
रचनेवाला छोड़ जाता है,
हर रंग का रंग जीवन भर ।
जीवन की संरचना में,
कौन है रचनाकर ?

अस्तित्व, आबु दाबी, यु ऐ ई

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

aapne achchha likha hai!