क्षितिज में जैसे जमीं आसमान का मिलन
आसमां में जैसे चांद और तारों का मिलन
धूप - छांव जैसा सुंदर खेल
सागर में जैसे नदिया का मेल
फूलो से जैसे खुशबू महके
आग से जैसे शोले दहके
ओस के जैसी छूती कोमलता
झरने के जैसी बहती चन्चलता
दिये की जैसी रोशनी बिखरती
ज्वार - भाटा जैसी लहरे उठती
बरखा की रिमझिम बूंदे बरसे
तुम बिन ऐसे जिया तरसे
अस्तित्व, आबू दाबी
शुक्रवार, 23 नवंबर 2007
~ तुम बिन ऐसे जिया तरसे ~
प्रस्तुतकर्ता अस्तित्व पर शुक्रवार, नवंबर 23, 2007
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