॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
आपका स्वागत है मेरे इस ब्लोग में। आशा है आपको मेरे साथ आनन्द आयेगा। मेरा प्रयास रहेगा की आप की आशाओ में खरा उतरुंगा। सभी पढ़ने वालो को मेरा सप्रेम नमस्कार एवम् अभिनंदन। .

शुक्रवार, 23 नवंबर 2007

~ तुम बिन ऐसे जिया तरसे ~

क्षितिज में जैसे जमीं आसमान का मिलन
आसमां में जैसे चांद और तारों का मिलन

धूप - छांव जैसा सुंदर खेल
सागर में जैसे नदिया का मेल

फूलो से जैसे खुशबू महके
आग से जैसे शोले दहके

ओस के जैसी छूती कोमलता
झरने के जैसी बहती चन्चलता

दिये की जैसी रोशनी बिखरती
ज्वार - भाटा जैसी लहरे उठती

बरखा की रिमझिम बूंदे बरसे
तुम बिन ऐसे जिया तरसे


अस्तित्व, आबू दाबी

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