आँखों का पानी
कंपकंपाते होंठ
चुभते शब्द
रुठती जिन्दगी
रुलाते पल
अचेत प्राण
सुलगती चेतना
तरस खाती निगाहें
विमुख होती आस
बेरुखी रात की
निराशा दिन की
नीरसता सावन की
दु:खती रग
व्याकुल भाव
बुझती शान
बयां करते है
सहमे जज्बात
दिल का दर्द
अंतरमन की वेदना
- अस्तित्व
कंपकंपाते होंठ
चुभते शब्द
रुठती जिन्दगी
रुलाते पल
अचेत प्राण
सुलगती चेतना
तरस खाती निगाहें
विमुख होती आस
बेरुखी रात की
निराशा दिन की
नीरसता सावन की
दु:खती रग
व्याकुल भाव
बुझती शान
बयां करते है
सहमे जज्बात
दिल का दर्द
अंतरमन की वेदना
- अस्तित्व
4 टिप्पणियां:
आपकी रचना में हर शब्द और वाक्य में वेदना भरी है...भावपूर्ण रचना
कविता के प्रत्येक शब्द, प्रत्येक पंक्ति पढ़कर वेदना का अहसास है। यही सफलता का मापदण्ड है। वेदनापूर्ण सुंदर कविता के लिए बधाई।
इतनी वेदना भी उचित नहीं । अब इससे उबर जाईये।वैसे दिल को छूने वाली रचना है।
बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना है।
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