॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
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बुधवार, 7 मई 2008

ये हम कैसे उन्हें बतायें ?

ये हम कैसे उन्हें बतायें ?

ख्वाब और हकीकत की ये कहानी
याद और अपने दिल कि जुबानी
प्यार और अपने जज़बात की नादानी
अहसास और शरारत की दीवानगी

कल और आज की रुसवाई
भाव और घावों की गहराई
वफा और बेवफाई की सच्चाई
कसमों - वादो की दुहाई

बिछोह और दूरी का गम
आंखो और होन्ठो की बैचैनी
तन और मन की कशिश
प्रेम और त्याग की परिभाषा
ये हम कैसे उन्हें बतायें ?

- अस्तित्व, यु ए ई

2 टिप्‍पणियां:

राजीव रंजन प्रसाद ने कहा…

बिछोह और दूरी का गम
आंखो और होन्ठो की बैचैनी
तन और मन की कशिश
प्रेम और त्याग की परिभाषा
ये हम कैसे उन्हें बतायें ?

वाह!!!

***राजीव रंजन प्रसाद

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया, बधाई.