॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
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सोमवार, 15 सितंबर 2008

दिल्ली में फिर्…………


दिल्ली में फिर्…………


आंतक का दानव फ़िर बहका
सांसे कुछ रुक गई
जिदगी कुछ थम सी गई
घाव रिसने लगे
खून फैलने लगा
भारत का दिल फ़िर दहका।

बयानो ने फ़िर धावा बोला
हर नेता ने अपना पासा फेंका
सबने की आंतक की निंदा
खेल फिर भी खेलेते गंदा
शुध्द राजनिती अब तो सीखो।

जनता का रोष कुछ दिखने लगा
सरकार से सवाल पूछने लगे
लोग आज उग्र हैं कल चुप हैं
फ़िर केवल अपने में खुश है
आंतक से बचना है तो आज चुप ना रहिये।

दशहत फैलाने वालो
कुछ होश अपने सम्भालो
नफरत नहीं प्यार पाओ
जीवन लेना नही देना सीखो
धर्म अपना अब तो पह्चानो।

-अस्तित्व, यू ए ई

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सही कहा!!


अति अफसोसजनक, दुखद एवं निन्दनीय घटना.