॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
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बुधवार, 22 अप्रैल 2009

परिवर्तन संसार का नियम है



परिवर्तन संसार का नियम है
नियम तोड़ने के लिये ही बनते है
तोड़ना या तोड़ – फ़ोड़ जुर्म है
जुर्म की कोई न कोई सज़ा है
सज़ा जुर्माना हो या फ़िर कैद
कैद में जानवर हो या फ़िर इंसान
इंसान अच्छा हो या बुरा
बुराई का छोड़ दो अब दामन
दामन किसका पकड़े या छोड़े
छोड़ ना देना साथ तुम मेरा
मेरे हो या अपने कैसे पहचाने
पहचान थोड़ी हो या गहरी
गहराई का है क्या कोई पैमाना
पैमाना चाहे अब कुछ परिवर्तन
परिवर्तन संसार का नियम है।

-अस्तित्व , आबू दाबी, यु ए ई

4 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत अच्‍छा .. नियम तो बदलने पडते हैं .. परिवर्तन तो संसार का नियम है।

Udan Tashtari ने कहा…

पहचान थोड़ी हो या गहरी
गहराई का है क्या कोई पैमाना
पैमाना चाहे अब कुछ परिवर्तन
परिवर्तन संसार का नियम है।


--बहुत गहरी बात कही है.

अनिल कान्त ने कहा…

kya baat hai ...waah

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत बढ़िया