॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
आपका स्वागत है मेरे इस ब्लोग में। आशा है आपको मेरे साथ आनन्द आयेगा। मेरा प्रयास रहेगा की आप की आशाओ में खरा उतरुंगा। सभी पढ़ने वालो को मेरा सप्रेम नमस्कार एवम् अभिनंदन। .

बुधवार, 19 मार्च 2008

वक्त के साथ तेरा गीत


वक्त करवट लेता गया
हर बीते पलो को समेटने लगा
संकुचित मन से वक्त को देखा
पीड़ा का अहसास उसमें पाया

दुखते और सुलगते घावों को
असहाय सा इस दौर में पाया
समझ न सका वक्त का इशारा
अपने को सवालों से मजबूर पाया

जीने कि चाह मे उठते गिरते स्वर
पल - पल वेदना के चुभते खंजर
सुख में ईश्वर का ध्यान हर पल आया
इस बार आंख ना उससे मिला पाया

इन सब के बीच कम हुआ न तेरा प्यार
हर पल संभालते रहा तेरे प्रेम का संगीत
साहस और शक्ति देता रहा तेरे प्यार का गीत
हर हार में भी महसूस की मैंने अपनी जीत


-अस्तित्व

2 टिप्‍पणियां:

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

बहुत बढिया है कविता , बधाई स्वीकारें !

PD ने कहा…

पहली बार आपके ब्लौग पर आया हूं.. बढिया लगा आपका ब्लौग..
पता है आपका लिंक कहां से मिला? किसी ने मेरा तकनिकी चिट्ठा आपके ब्लौग से होते हुये हिट किया था और वहीं से आपके चिट्ठे का पता मिला.. अब आपका चिट्ठा पसंद आ ही गया है तो आना जाना लगा ही रहेगा.. :)