॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
आपका स्वागत है मेरे इस ब्लोग में। आशा है आपको मेरे साथ आनन्द आयेगा। मेरा प्रयास रहेगा की आप की आशाओ में खरा उतरुंगा। सभी पढ़ने वालो को मेरा सप्रेम नमस्कार एवम् अभिनंदन। .

शुक्रवार, 25 जुलाई 2008

कैसे ?




दूरियां दर्मियां होती तो
पास तुम्हारे हो्ता कैसे?
आंखे मिलती नहीं हमारी तो
इन आँखो में बसाता कैसे?
तुमसे अनजान होता तो
अपनी जान बनाता कैसे?
आवाज सुनी ना होती तो
प्यार के स्वर सुनता कैसे?
इंतजार किया न होता तो
मिलने का पल समेटता कैसे?
अहसास रुक जाते तो
सांसे यूं समाती कैसे?
प्रीत तुमसे की न होती तो
गीत मन के लिखता कैसे?

- अस्तित्व, यू ए ई

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा, लिखते रहें.

बेनामी ने कहा…

geet man ke lihta kaise..... bahut khoob kaha aapne

बेनामी ने कहा…

आप अच्छा लिखते है।

Rajesh Roshan ने कहा…

अच्छा लिखा, लिखते रहे...