॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
आपका स्वागत है मेरे इस ब्लोग में। आशा है आपको मेरे साथ आनन्द आयेगा। मेरा प्रयास रहेगा की आप की आशाओ में खरा उतरुंगा। सभी पढ़ने वालो को मेरा सप्रेम नमस्कार एवम् अभिनंदन। .

बुधवार, 5 दिसंबर 2007

जब तुम आये!!

इंतजार में तुम्हारे
आंखो का पानी सूख चुका था
आज आंखे नम हो गई
जब तुम आये!!

दिल की धड़कन रुक सी जाती थी
जब याद तुमहरी आती थी
आज दिल कि धड़कन तेज हुई
जब तुम आये!!

चेहरा कुछ मुरझा सा जाता था
जब तस्वीर तुम्हारी औझल सी लगती थी
आज चेहरा मेरा गुलाल हुआ
जब तुम आये!!

लब मेरे थिरकते रह्ते थे
जब अह्सास तुम्हारा आता था
आज लब मेरे सहम गये
जब तुम आये!!

आसमां को निहारा करता था
जब तुम बिन तारे गिनता था
आज सारा जंहा मिल गया
जब तुम आये!!

- अस्तित्व

5 टिप्‍पणियां:

Keerti Vaidya ने कहा…

bhut he payari se bhav prurn rachna hai apki

anuradha srivastav ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा है। वास्तविक नाम से लिखिये । आपको अपना अस्तित्व खुद अच्छा लगेगा ।

बालकिशन ने कहा…

सुंदर! अति सुंदर! आपकी कविता कि तरह जरुर आपका नाम भी सुंदर ही होगा. क्यों छिपाएं है?

नीरज गोस्वामी ने कहा…

होता है ऐसा, किसी के आने से पूरी कायनात बदल जाती है.
लिखते रहें
नीरज

बेनामी ने कहा…

नीरज जी, बाल किशन जी, अनुराधा जी एवम कीर्ती जी आपके प्रोत्साहन के लिये सह्र्दय धन्यवाद्।