प्रेम तपस्या में
लीन होकर जाना
कुछ हद तक
प्यार की भाषा को
और उसकी परिभाषा को
प्रेम एक
सम्बन्ध है
मेल है
दिल के तारो का
परस्पर स्नेह का
विचारो का
भावनाओ का
एक दूजे का
सहारा है प्यार
समर्पण और आदर का
सामंजय है प्यार
शायद इस दुनिया मे कई
प्रेम पुजारी है
फिर भी
प्रेमबन्धन मे पूर्ण नही
प्यार मोह्ब्बत के इस
मनचले खेल ने
"अस्तित्व" तुम्हें
बहुत कुछ सिखलाया है
और सिखा रहा है
अरे!!! ये किसकी आवाज है
जो चुपके से मेरे कानो मे
शहद घोल रही है और
अपने करीब बुला रही है
अच्छा मैं चला और कुछ
सीखने की चाह मे - प्यार की राह में।
-अस्तित्व
मंगलवार, 4 दिसंबर 2007
प्यार की राह में
प्रस्तुतकर्ता अस्तित्व पर मंगलवार, दिसंबर 04, 2007
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4 टिप्पणियां:
bhut khoob
सुन्दर अभिव्यक्ति । आभार ।
घर पर ब्लाग मित्र का फोन और गांव की कुंठा
अच्छा है जनाब. पहली बार आया आपके ब्लॉग पर. और हाँ, आनंद आया.
"अच्छा मैं चला और कुछ
सीखने की चाह मे - प्यार की राह में।".... वाह !
aap sabhi logo ka dhanyawad. choti choti tipniya likhne ka protsahan deti hai.
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