॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
आपका स्वागत है मेरे इस ब्लोग में। आशा है आपको मेरे साथ आनन्द आयेगा। मेरा प्रयास रहेगा की आप की आशाओ में खरा उतरुंगा। सभी पढ़ने वालो को मेरा सप्रेम नमस्कार एवम् अभिनंदन। .

शनिवार, 8 दिसंबर 2007

तुम हो !!!!!

मेरे हर प्रश्न का उतर तुम हो
मेरे हर सपनों का अर्थ तुम हो
मेरे हर पल का साथ तुम हो
मेरी दौलत, मेरा प्यार तुम हो
मेरी हर इच्छाओं कि पूरक तुम हो
मेरे जीवन का हर अंश तुम हो
मेरी भावनाओं का भंडार तुम हो
मेरी हर पसंद की पंसद तुम हो
मेरी हर बात का मतलब तुम हो
मेरे जीवन की हर तपस्या तुम हो
मेरे आंगन की महक तुम हो
मेरे हर उजाले की रोशनी तुम हो
मेरी हर प्रेरणा का स्त्रोत तुम हो
मेरी सफलता का “अस्तित्व” तुम हो
(25-4-85)
- अस्तित्व

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

mera sab kuch tum ho,astitva bhi,behad sundar bhav hai.

बालकिशन ने कहा…

अच्छी कविता है. सुंदर भाव लिए हुए.
"मेरे" और " तुम्हारे" रिश्ते का सुंदर वर्णन.

Keerti Vaidya ने कहा…

sunder kavita...