परिवर्तन संसार का नियम है। परन्तु क्या ये सत्य है? अगर सत्य है तो किस पहलू में? किस स्तर में? इसी कशमश में कुछ प्रशन अपने आप से पूछने में सोच को नया आयाम देते है?
परिवर्तन देश के विकास में, विज्ञान में,साहित्य में,आर्थिक दृष्टि से,सामाजिक कल्याण के संदर्भ में,खेल-कूद में या कहे की हर स्तर में अनिवार्य है। तभी हम प्रगतिशील कहलायेंगे। अपनी सोच में परिवर्तन लाना भी कहीं-कहीं उचित माना जाता है। विज्ञान और तकनीकी स्तर में तो हर रोज बदलाव आ रहे है। फैशन, फ़िल्म जगत और मनोरंजन जगत में भी इसमें पीछे नहीं। किसी क्षेत्र में तेजी से तो किसी में धीमी गति से।
कुछ मन में उठते सवाल
घर-परिवार में भी बदलाव आम सी बात हो गई। इक्का दुक्का परिवार ही संयुक्त परिवार कि श्रेणी मे आते है। लेकिन अब की पीढी अकेले ही अपनी मंजिल कि तलाश में अग्रसर हो रही है। क्या इस बदलाव से हम कुछ खो रहे है कुछ पाने की चाह में? क्या हम अपने संस्कारों में परिवर्तन चाहते है? क्या हम अपने वसूलो में बदलाव चाहते है? अगर आप सच बोलते है तो क्या परिवर्तन चाहते है? आप यदि सामाजिक कार्य करते है किसी लाभ की खातिर अपना रुख बदलना चाहेंगे। क्या आप प्रेम की अभिव्यक्ति बदलना चाहेंगे? व्यक्तिगत तौर से आप स्वंय में क्या बदलाव लाना चाहते है? क्या आप अपना द्दिष्टिकोण बदलना चाहते है? क्या आप अपने रिश्तों से मुंह मोड़ना चाहते है?
कुछ बदलाव ना चाहते हुए भी हमारे जीवन में आ जाते है। कुछ प्रश्न बिना उत्तर के ही रह जाते है। कभी-कभी उत्तर जानते हुये भी जबाब देना नही चाहते क्योंकि फिर हम खुद के भ्रमजाल में फ़स जायेंगे।
मेरे ख्याल में अपने आप में परिवर्तन अच्छाई हेतु, संस्कारों में बदलाव सामाजिक कल्याण हेतु एक अच्छा प्रयास होगा। सकारात्मक सोच के साथ किया हुआ हर परिवर्तन एक नई दिशा की ओर अच्छा प्रयास माना जायेगा।
- अस्तित्व
शुक्रवार, 7 दिसंबर 2007
परिवर्तन
प्रस्तुतकर्ता अस्तित्व पर शुक्रवार, दिसंबर 07, 2007
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3 टिप्पणियां:
"कुछ बदलाव ना चाहते हुए भी हमारे जीवन में आ जाते है। कुछ प्रश्न बिना उत्तर के ही रह जाते है। कभी-कभी उत्तर जानते हुये भी जबाब देना नही चाहते"
बस यही सत्य है.
परिवर्तन अवश्यम्भावी है ,लेकिन किस कीमत पर यह भी विचारणीय है।
इस जगत का सबसे बड़ा सत्य परिवर्तन ही है…।
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