तुमसे बिछड़ा तो ऐसा लगा
रेगिस्तान सा आभास लगा
होश अपने खोने लगा
जोश मेरा हिलने लगा
रेत का असहाय टीला
चारो ओर फ़िर भी गी्ला
रेत के बिखरते कण
दर्द के बिलखते क्षण
यादों का बहता सैलाब
फ़िर भी ना मिलते जबाब
पल-पल उखड़ती सांस
सहारा ढूँढती रही आस
इस मरुस्थल में जाना
प्यार का अपना फंसाना
तुमसे दूरी का अहसास
और पास होने का आभास
- अस्तित्व, यू ए ई
रेगिस्तान सा आभास लगा
होश अपने खोने लगा
जोश मेरा हिलने लगा
रेत का असहाय टीला
चारो ओर फ़िर भी गी्ला
रेत के बिखरते कण
दर्द के बिलखते क्षण
यादों का बहता सैलाब
फ़िर भी ना मिलते जबाब
पल-पल उखड़ती सांस
सहारा ढूँढती रही आस
इस मरुस्थल में जाना
प्यार का अपना फंसाना
तुमसे दूरी का अहसास
और पास होने का आभास
- अस्तित्व, यू ए ई
6 टिप्पणियां:
good to read from you
आपकी घड़ी ग़लत समय बता रही है सही कर लीजिये
वीनस केसरी
इस मरुस्थल में जाना
प्यार का अपना फंसाना
तुमसे दूरी का अहसास
और पास होने का आभास
" really i liked these words too much, a great composition"
Regards
kya baat hai bhut badhiya rachana. aapka blog bhi bhut sundar hai.
वीनस केसरी जी घड़ी का समय सही है( यूनाईटेड अरब अमीरात का वक्त है ये)।
रश्मी जी ब्लोग की प्रशंसा के लिये धन्यावाद्।
यादों का बहता सैलाब
फ़िर भी ना मिलते जबाब
पल-पल उखड़ती सांस
सहारा ढूँढती रही आस
बहुत सुंदर लिखा है
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