॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
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बुधवार, 12 दिसंबर 2007

लेकिन मुस्कराती जिन्दगी


मस्तिष्क के प्रांगण में
प्रतिद्वन्दता कराती जिन्दगी



उठाती - गिराती ज़िन्दगी
जलाती - बुझाती जिन्दगी
बनाती - बिगाड़ती जिन्दगी
रुठती - मनाती जिन्दगी

रुलाती लेकिन हंसाती जिन्दगी
इठलाती लेकिन खेलती जिन्दगी
चुपचाप लेकिन बोलती जिन्दगी
पूछती लेकिन उतर देती जिन्दगी

इन्कार - इकरार करती जिन्दगी
पास – फेल कराती जिन्दगी
मेल – बिछोह कराती जिन्दगी
प्यार – नफरत सिखाती जिन्दगी

हराती लेकिन सिखलाती जिन्दगी
रुकती लेकिन चलती जाती जिन्दगी
ढूँढती लेकिन महकती जिन्दगी
आंसू लाती लेकिन मुस्कराती जिन्दगी



- अस्तित्व

1 टिप्पणी:

36solutions ने कहा…

सत्‍य यही तो जिंदगी है । वाह ।

मॉं : एक कविता श्रद्वांजली