॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
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शुक्रवार, 14 दिसंबर 2007

कुछ MASTI KUCHH ........

कुछ मस्ती कुछ .........

कोइ हसीना आकर हमसे प्यार का इजहार तो करती
उसकी जवानी की कसम पुरानी मोहब्बत को सूली चढा देता

तुम बदल जाओगे सोचा भी ना था
यह तो अच्छा किया हमने खुद को बदल दिया

प्यार तुम्हे करते है इतना जितनी है मुझ में चाहत्
आया करो सपनो में भी किसी को ना हो इसकी आहट्

प्यार करना तो हमने सिखाया था तुमने
दिल तोड़कर जाना किसने सिखाया तुमको

हमारे दिल पर क्या गुजरती है जब तुम नहीं होती हमारे पास
किन्तु तुमसे मिलने की चाह बढा देता है जीने की आस

जिन्दगी के हसीन रंगो में रंगना ही पड़ता है
कुछ पाने के लिये कुछ खोना ही पड़ता है

जो कल था वो मेरा अपना था, जो आज हूँ वो तुम्हारा हूँ
खुशिया लेकर जो आयेगा वो कल हमारा होगा

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