॥ॐ श्री गणेशाय नम:॥
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सोमवार, 31 दिसंबर 2007

जीवन अतुल्य है………

जीवन अतुल्य है्। जीवन जीने की राह एक कठिन मगर अपने में उस जीवन को जीने की चाह और उसको अपने कर्तव्य मार्ग से जोड़ सकती है या फिर भटका सकती है। यथाशक्ति व मन से किया हुआ हर कार्य जरूर एक मंजिल की ओर अग्रसित करता है।
मन की भावना और शक्ति एक ऐसी राह की ओर बढती जाती है जिसमें अवश्य ही विजय निश्चित होती हाँ अगर भाग्य ने साथ दिया तो अवश्य ही अजेय घोषित होंगे।
मेरा मानना है कि मनुष्य के कर्म अवश्य ही आज को एक रुप देते है।लेकिन विजय और हार उस उपर वाले के हाथ है जिसे हम भगवान, अल्लाह या फिर जीसस के नाम से जानते है। ईश्वर जो करता है अच्छे के लिये करता है। लेकिन हम लोग आज को समेटने की कोशिश केवल अच्छे के लिये करते है। अगर हम लोग अपने को भूल कर को केवल आज को एक सुनियोजित ढ़ग से जीने की राह पकड़ ले तो आज को हम जी पायेंगे। कल की चिंता अवश्य ही हमें एक ऐसी उधेड़-बुन में डाल देती है की हम आज को ठीक से नही जी पाते है। आज को हम सफल बनाये इसी में ही हमारी खुशी है।अगर एक पल के लिये मान ले कि आज हम प्रारब्ध का फल पा रहे है अच्छा या बुरा तो क्यों ना हम आने वाले कल के लिये आज को अच्छा करे। आज को जी ले आज को अपने लिये और दूसरों के लिये अच्छा करें।

हर मनुष्य अच्छी सोच के साथ जीवन के लम्हों को जीना चाहता है केवल उसकी नकारात्मक और धनात्मक सोच ही उसके कल को बनाती है। एक दोहा याद आता है
“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल मे प्रलय होयेगी बहुरी करेगा कब”
आज को सुन्दर बनाये कल की चिंता कल के लिये छोड़ दे।

साल 2008 में और आने वाला हर पल आपको सफल और स्वस्थ रखे खुशियों के साथ इसी शुभकामनाओं के साथ
आपका अस्तित्व

3 टिप्‍पणियां:

मीनाक्षी ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव...सही है... आज जीना ज़्यादा महत्वपूर्ण है .... आपका नया साल भी खुशियों से भर जाए.

विनीत उत्पल ने कहा…

नया वर्ष आपके लिए शुभ और मंगलमय हो।

ghughutibasuti ने कहा…

हम्म !
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती